wear this gem for the peace of nine planets your luck will change know the rules of wearing it : धार्मिक ब्यूरो। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की शांति के लिए रत्न धारण करने की विधि बताई गई है। हालांकि इन रत्नों को नियमानुसार ही धारण किया जाता है।

क्योंकि बिना नियम के इसे पहनने से विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। रत्न ज्योतिष में नौ ग्रहों के लिए नौ रत्न बताए गए हैं। इसमें सूर्य के लिए माणिक, चंद्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुष्पराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुन है। आइए रत्न धारण करने के नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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माणिक पत्थर
सूर्य की शक्ति के लिए तीन रत्ती से अधिक वजन का माणिक्य रत्न धारण करें। कम से कम 5 रत्ती की सोने की अंगूठी में एक रत्न जड़वाएं। जड़े हुए माणिक्य का प्रभाव केवल 4 वर्ष तक ही रहता है।

मोती
चंद्र शांति के लिए 4 रत्ती का मोती धारण करें। इस रत्न को सोने या चांदी की अंगूठी में धारण करें। अंगूठी का वजन 4 रत्ती से कम नहीं होना चाहिए।

मूगा
मंगल की शांति के लिए कम से कम 8 रत्ती का मूगा लगाएं। पत्थर को कम से कम 6 रत्ती की सोने की अंगूठी से जोड़ दें। जड़ वाला मूंगा 3 साल तक ही असरदार होता है।

पन्ना पत्थर
बुध ग्रह की शांति के लिए कम से कम 6 रत्ती का पन्ना धारण करें। इसे सोने की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए। सोने की अंगूठी में जड़ा पन्ना सिर्फ 3 साल तक ही प्रभावी रहता है।

पुष्पराज रत्न
गुरु की शांति के लिए कम से कम 4 रत्ती का पुष्पराज रत्न धारण करें। इसे सोने या चांदी की अंगूठी में धारण करें। इसका असर करीब 4 साल तक रहता है।

हीरा रत्न
शुक्र की मजबूती के लिए 1 रत्ती का हीरा धारण करना चाहिए। हीरा रत्न कम से कम 7 रत्ती की सोने की अंगूठी में धारण करें। जड़ित हीरा रत्न का प्रभाव लगभग 7 वर्ष तक रहता है।

नीलम पत्थर
शनि भारी हो तो 4 रत्ती या अधिक नीलम धारण करना चाहिए। नीलम को लोहे की अंगूठी में धारण करना चाहिए। इसका असर 5 साल तक रहता है।

गोमेद रत्न
राहु की शांति के लिए कम से कम 4 रत्ती का गोमेद रत्न धारण करना चाहिए। 4 रत्ती के ऊपर अष्टधातु या चांदी की अंगूठी धारण करनी चाहिए। तीन साल के बाद इस पत्थर को बदल देना चाहिए।

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