Indian pharma firm responds after WHO issues alert against another cough syrup : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि एक भारतीय कंपनी द्वारा निर्मित एक और खांसी की दवाई दूषित पाई गई है। इस से पहले उज्बेकिस्तान में भारत में बनी कफ सिरप पीकर 18 बच्चों की मौतों के मामले में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि, हमने दो महीने पहले हुई 18 बच्चों की मौतों के मामले की रिपोर्ट्स देखी हैं.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत के पंजाब में क्यूपी फार्माकेम लिमिटेड द्वारा उत्पादित गाइफेनेसीन टीजी सिरप में खराब गुणवत्ता पाई गई है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, लैब टेस्ट में सिरप में डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा जरूरत से ज्यादा पाई गई।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ये दोनों यौगिक मनुष्यों के लिए जहरीले हैं और अधिक मात्रा में सेवन करने पर घातक हो सकते हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि यह दूषित खांसी सिर्फ मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया में पाई गई। हालांकि, इस सिरप से कोई बीमार हुआ या नहीं, इस बारे में संगठन ने कुछ भी खुलासा नहीं किया है।
क्यूपी फार्माकेम के प्रबंध निदेशक सुधीर पाठक ने कहा कि नियामक संस्था से अनुमति मिलने के बाद उन्होंने दवा की 18,346 बोतलें कंबोडिया भेजी हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि यह प्रशांत क्षेत्र के मार्शल द्वीप और माइक्रोनेशिया कैसे पहुंची.
उन्होंने बीबीसी से कहा, “हमने इस दवा को प्रशांत क्षेत्र में नहीं भेजा. इस दवा को वहां इस्तेमाल की मंजूरी भी नहीं मिली थी। लेकिन हम नहीं जानते कि यह मार्शल द्वीप और माइक्रोनेशिया कैसे पहुंचा।
इससे पहले, WHO ने कहा था कि भारत के मैरियन बायोटेक द्वारा निर्मित “डॉक -1 मैक्स” नामक खांसी की दवाई का सेवन करने के बाद उज्बेकिस्तान में 20 बच्चों की मौत हो गई।
इसी तरह मेडेन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित कोफेक्समालिन बेबी कफ सिरप, मेकफ बेबी कफ सिरप और मैग्रिप एन कोल्ड सिरप पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया क्योंकि वे दूषित थे। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, बच्चों द्वारा सेवन की जाने वाली इन दवाओं से पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया में 66 बच्चों की मौत हो गई।
बीबीसी के मुताबिक भारत दुनिया की एक तिहाई दवाओं का उत्पादन करता है। इसीलिए भारत को ‘दुनिया का फार्मेसी स्टोर’ भी कहा जाता है।